वायनाड. जिस समुदाय के करीब 10 पुश्तों ने बंधुआ मजदूरी की हो, कमाई में पैसों के बदले कच्चे चावल मिलते हों, उनका मुख्य धारा से जुड़ना बेहद कठिन होता है। लेकिन पनिया अडिया नाम के समुदाय ने ऐसा कर दिखाया है। इतना ही नहीं, कभी जिन बागानों में इनके पूर्वज मजदूरी करते थे, आज उनमें ये मालिक की हैसियत रखते हैं। वे 995 एकड़ चाय बागान के मालिक भी हैं, क्योंकि वे इसके मुनाफे में हिस्सेदार हैं।
यह कहानी है वायनाड जिले के मन्नतवाड़ी में स्थित प्रियदर्शिनी टी स्टेट से जुड़े परिवारों की। यहां 1985 में 118 पनिया अडिया समुदाय को केरल सरकार ने बंधुआ मजदूरी से मुक्ति दिलाई थी। ये पिछले करीब 300 सालों से उच्च वर्ग के यहां सफाई, कुली की तरह काम करते थे। कमाई के नाम पर मिलते थे, तो सिर्फ कच्चे चावल। काम के घंटे भी तय नहीं थे। शोषण का तो कोई अंत ही नहीं था। लेकिन अब जिंदगी दूसरी और बेहतर है। इसके पीछे 8 आईएएस अफसरों की भी मेहनत है। उन्होंने अपने कार्यकाल में प्रियदर्शिनी टी प्रोजेक्ट को प्राथमिकता पर रखा।
बंधुआ मजदूरों के पुनर्वास का यह बड़ा प्रोजेक्ट है। 2005 से पहले यह पूरी तरह से सोसायटी के हवाले था, लेकिन स्थानीय राजनीति के कारण चीजें बिगड़ने लगीं। मन्नतवड़ी के सब कलेक्टर और 2017 बैच के आईएएस विकल्प भारद्वाज कहते हैं- 2005 में राज्य सरकार ने इसका चेयरमैन सब कलेक्टर को बना दिया। तब से हर अफसर ने इसे प्राथमिकता में रखा। प्रॉफिट पर स्थानीय पाॅलिटिक्स हावी न हो इसके लिए इसे नए प्रोजेक्ट में इन्वेस्ट कर दिया जाता है।
प्रियदर्शिनी का रजिस्ट्रेशन एमटीपीसीएस के नाम से हैं। इसके 15 सदस्यीय बोर्ड में 10 सरकारी और 5 सोसायटी के सदस्य होते हैं। चेयरमैन सब कलेक्टर होता है। सदस्यों का चुनाव मिलकर करते हैं। 3 साल में चुनाव होते हैं। नवंबर 2019 में चुनाव हुए। साल में दो बार बोर्ड और एक बार जनरल मीटिंग होती है। जनरल मीटिंग में टी एस्टेट के सभी 118 मजदूर हिस्सा लेते हैं। मुनाफा सभी में बराबर बंटता है। अब हम इनके उत्पादों को अमेजन और फ्लिपकार्ट पर भी बेचनी की तैयारी कर रहे हैं। इनकी कई पुश्तों ने कभी स्कूल नहीं देखा था, लेकिन अब बच्चे न केवल स्कूल जा रहे हैं, बल्कि सरकारी नौकरियों की तैयारी भी कर रहे हैं।
शनिवार हाफ डे, रविवार छुट्टी और मुनाफा भी साझा होता है
इन्हें रोजाना 382 रु. मजदूरी दी जाती है। करीब 24% पीएफ (कंपनी-मजदूरों का शेयर मिलाकर) है। सालाना 8.33% या मुनाफा अच्छा हो तो 15% बोनस देते हैं। प्रोत्साहन राशि अलग से है। हर मजदूर को प्रतिदिन 27 किलो चाय पत्ती इकट्ठा करना अनिवार्य है। इससे ज्यादा पर अलग स्लैब है। 100 किलो पत्ती पर 50 रु. अतिरिक्त मिलते हैं। शनिवार को हाफ डे और रविवार को छुट्टी होती है।