"मैं उन औरतों को
जो अपनी इच्छा से कुएं में कूदकर और चिता में जलकर मरी हैं
फिर से ज़िंदा करूँगा और उनके बयानात..."
रमाशंकर यादव ' विद्रोही' की कविता 'औरतें' की ये लाइनें सुनकर भागलपुर के हबीबपुर में सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ 20 दिनों से धरने पर बैठी सैकड़ों महिलाएं समवेत स्वर में तालियां बजाने लगती हैं.
शुक्रवार की रात को दस बजने वाले थे. पूरा भागलपुर शहर सोने की तैयारी कर रहा था. सड़क की हलचल शांत होने लगी थी. भागलपुर के हबीबपुर, नाथनगर और चंपानगर जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों के अधिकांश घरों को दरवाजे बंद हो चले थे. लेकिन सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ दिल्ली के शाहीन बाग़ की तर्ज पर हबीबपुर में धरना पर बैठी महिलाओं में जोश बढ़ता जा रहा था क्योंकि उनके बीच कन्हैया कुमार के कुछ साथी मौजूद थे, जो इप्टा के सदस्य हैं, साथ ही कन्हैया कुमार की यात्रा के सहभागी भी हैं.