आतंकियों को सज़ा होगी तभी मेरे पति की आत्मा को शांति मिलेगी'

आज से ठीक एक साल पहले 14 फरवरी 2019 को कश्मीर के पुलवामा में अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ की एक टुकड़ी पर चरमपंथी हमला हुआ था. जिस समय हमला हुआ था सीआरपीएफ़ जवानों की बस दक्षिण कश्मीर जा रही थी. इस हमले में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल के 40 से अधिक जवानों की मौत हो गई थी.


 



इस चरमपंथी हमले की ज़िम्मेदारी चरमपंथी संगठन जैश ए मोहम्मद ने ली थी. आज उसी हमले की बरसी है. हमले में मारे गए जवान देश के अलग-अलग हिस्सों से थे. बीबीसी ने मारे गए जवानों के परिवार से मुलाक़ात की और जानना चाहा कि इस एक साल में उनकी ज़िंदगी कितनी बदल गई.


14 फरवरी का दिन कैसे भूल सकती हूं. चरमपंथियो ने मेरे पति को इतने भयानक तरीके से मारा था कि मैं उनका शव तक नहीं देख पायी थी. मेरे पति और हमारे जवानों की हत्या करने वाले आतंकियों को सजा मिलनी चाहिए. भारत सरकार पुलवामा में सीआरपीएफ़ के जवानों पर हमला करने वाले आतंकी संगठन के लोगों को जब तक पकड़ कर सजा नहीं देगी, मेरे मन को शांति नहीं मिलेगी."


14 फरवरी 2019 को पुलवामा चरमपंथी हमले में मारे गए सीआरपीएफ़ के जवान मनेस्वर बसुमतारी की पत्नी सनमति जब ये बातें कह रह थी तो उनके चेहर पर बेबसी और आक्रोश दोनों नज़र आ रहे थे.


घर की दीवार पर टंगी अपने पति की तस्वीर की तरफ देखते हुए सनमति कहती हैं, "देश की रक्षा के लिए कश्मीर में और भी जवान तैनात हैं. मैं चाहती हूं कि चरमपंथियों के ख़िलाफ़ भारत सरकार गंभीरता से कार्रवाई करे ताकि देश में पुलवामा हमले जैसी घटना दोबारा न हो. मेरी तरह किसी भी महिला को विधवा का जीवन जीना ना पड़े. सरकार ने हमें मुआवज़ा दिया है. बेटी को नौकरी भी दी है लेकिन हमारा तो सब कुछ छिन गया है."